Essay On Pollution In Hindi | Pradhushan Hindi Nibandh | हिंदी निबंध
प्रदूषण का अर्थ:
प्रदूषण, पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण की समस्या आज मानव समाज के सामने खड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है | पिछले कुछ दशकों में प्रदूषण जिस तेजी से बढ़ा है उसने भविष्य में जीवन के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगाना शुरू कर दिया है | संसार के सारे देश इससे होनेवाली हानियों को लेकर चिंतित है | संसार भर के वैज्ञानिक आए दिन प्रदूषण से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित करते रहते हैं और आनेवाले खतरे के प्रति हमें आगाह करते रहते हैं ।
समस्या
बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे बड़ी समस्या है, जो आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण के कारण मनुष्य जिस वातावरण या पर्यावरण में रहा है, वह दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है।
कहीं अत्यधिक गर्मी सहन करनी पड़ रही है तो कहीं अत्यधिक ठंड। इतना ही नहीं, समस्त जीवधारियों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। प्रकृति और उसका पर्यावरण अपने स्वभाव से शुद्ध, निर्मल और समस्त जीवधारियों के लिए स्वास्थ्य-वर्द्धक होता है, परंतु किसी कारणवश यदि वह प्रदूषित हो जाता है तो पर्यावरण में मौजूद समस्त जीवधारियों के लिए वह विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करता है।
प्रदूषण के प्रकार :
प्रदूषण कई तरीकों से हानिकारक होता है। प्रदूषण कई तरह का होता है।
1. वायु प्रदूषण : वायु हमारे जीवन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्त्रोत होती है। जब वायु में हानिकारक गैसें जैसे कार्बन-डाई-आक्साइड और कार्बन-मोनो-आक्साइड मिलते हैं तो वायु को प्रदूषित कर देते हैं इसे ही वायु प्रदूषण कहते हैं। बहुत से कारणों से जैसे – पेड़ों का काटा जाना, फैक्ट्रियों और वाहनों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण होता है।
वायु प्रदूषण की वजह से अनेक तरह की बीमारियाँ भी हो जाती हैं जैसे – अस्थमा, एलर्जी, साँस लेने में समस्या होना आदि। जब मुंबई की औरतें धुले हुए कपड़ों को छत से उतारने के लिए जाती हैं तो उन पर काले-काले कणों को जमा हुआ देखती हैं। ये कण साँस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं जिसकी वजह से मनुष्य को असाध्य रोग हो जाते हैं। वायु प्रदूषण को रोकना बहुत ही आवश्यक है।
2. जल प्रदूषण : जल के बिना किसी भी प्रकार से जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जब इस जल में बाहरी अशुद्धियाँ मिल जाती हैं जिसकी वजह से जल दूषित हो जाता है इसे ही जल प्रदूषण कहते हैं। जब बड़े-बड़े नगरो और शहरों के गंदे नालों और सीवरों के पानी को नदियों में बहा दिया जाता है और यही पानी हम पीते हैं तो हमें हैजा, टाइफाइड, दस्त जैसे रोग हो जाते हैं।
जल प्रदूषण के दूषित होने का कारण गंगा जैसी पवित्र नदी में मृत व्यक्तियों के शवों को बहा देना, नदियों में स्नान करना, उद्योगों के कचरे को नदियों में बहा देना, होते हैं। जब बाढ़ आती है तो कारखानों का बदबूदार पानी नदी, नालों और नालियों में मिलकर जल प्रदूषण के साथ-साथ अनेक बिमारियों को भी उत्पन्न करता है।
3. ध्वनी प्रदूषण : ममनुष्य शांत वातावरण में रहना पसंद करता है, परन्तु आजकल वाहनों, कल-कारखानों का शोर ,यातायात का शोर ,मोटर गाड़ियों का शोर ,लाउडस्पीकर, के ध्वनि से परेशान है, हमारे युवा वर्ग के लिए तनाव की समस्या उत्पन्न कर दी है।
मानव सभ्यता के विकास के प्रारंभिक चरण में ध्वनि प्रदूषण गंभीर समस्या नहीं थी, परंतु मानव सभ्यता ज्यो-ज्यों विकसित होती गई और आधुनिक उपकरणों से लैस होती गई, त्यों-त्यों ध्वनि प्रदूषण की समस्या विकराल व गंभीर हो गई है।
4. भूमि प्रदूषण
भूमि समस्त जीवों को रहने का आधार प्रदान करती है। यह भी प्रदूषण से अछूती नही है। जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य के रहने का स्थान कम पड़ता जा रहा है, जिससे वह वनों की कटाई करते हुए अपनी जरूरत को पूरा कर रहा है। वनों की निरंतर कटाई से न केवल वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है और ऑक्सीजन की मात्रा घट रही है, बल्कि जमीन में रहने वाले जीव-जंतुओं का भी संतुलन बिगड़ रहा है।
प्रदूषण के दुष्परिणाम या हानियाँ :
प्रदूषण का पृथ्वी और मनुष्य दोनों पर ही बुरा और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आज के समय में मनुष्य अधिक-से-अधिक धन कमाने के लिए विज्ञान की मदद ले रहा है लेकिन इन सब में वह कई तरह के खतरनाक रसायन उत्पादों को प्रकृति में फैला देता है।
सभी प्रकार के प्रदूषणों की वजह से मानव के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो जाता है। आदमी खुली हवा में लंबी साँस लेने के लिए भी तरस जाता है। गंदे पानी से खेती करने की वजह से बीमारियाँ फसल में चली जाती हैं और भयंकर बिमारियों के रूप में उत्पन्न होती हैं।प्रदूषण की वजह से ही सर्दी-गर्मी और वर्ष का चक्र ठीक प्रकार से नहीं चल पाता है।
उपसंहार
ऐसे गंभीर समय में यह आवश्यक हो गया है कि संसार के सारे देश मिलकर प्रदूषण की इस समस्या पर लगाम लगाए | उद्योगों के लिए प्रकृति को नष्ट नहीं किया जा सकता | जब जीवन ही खतरे में पड़ रहा है तो जीवन को आरामदायक बनानेवाले उद्योग क्या काम आएँगे | अभी हाल ही में (१२ दिसंबर २०१५) संसार के १९६ देश प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस में इकट्ठे हुए थे | सबने मिलकर यह निश्चय किया है कि धरती के तापमान को मौजूदा तापमान से दो डिग्री से ज्यादा बढ़ने नहीं दिया जाएगा | देर से ही सही पर यह सही दिशा में बढाया हुआ कदम है | यदि इसपर वास्तव में अमल किया गया तो पेरिस अधिवेशन मनुष्य जाति के लिए आशा की स्वर्णिम किरण साबित होगी | उम्मीद है कि हम पर्यावरण की रक्षा के लिए सही कदम उठाएँगे और आनेवाली पीढ़ी को प्रदूषण के दुष्परिणामों से बचाएँगे | Essay On Pollution In Hindi
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